Sunday, April 15, 2007

जस्ट मैरिड







अरेंज मैरिज का समर्थन करती हुई फिल्म 'जस्ट मैरिड' पूरी तरह भारतीय परम्पराओं पर आधारित है। अभय सचदेव (फरदीन खान) आर्दशों को मानने वाला शहरी लड़का है, जो महत्वाकांक्षी, मेहनती और दोस्त बनाने में माहिर है। वह काफी योग्य है और इस वजह से उसे बड़ी कम्पनी में नौकरी मिलती है। अपने दोस्तों के साथ घूमने, बीयर पीने, जिम में जाने वाला अभय अपने संस्कारों से उतना ही भारतीय है।एमबीए पूरा करने के बाद वह वापस भारत लौट आता है और अपने माँ-बाप के पसंद की लड़की से शादी करने को भी तैयार हो जाता है। अभय की भावनाएँ और उसके संस्कार उस समय पूरी तरह सामने आते हैं जब वह एक अंजान लड़की से शादी के बाद पाँच दिनों के लिए हनीमून पर जाता है। हनीमून पर जाने से पहले उसे पता होता है कि उसके लिए सबकुछ नया है और इस नए रिश्ते को सम्भालने के लिए उसे काफी सतर्क रहना पड़ेगा। उसे पता है कि अगर पाँच दिन उसने इस नए रिश्ते को सँभाल तो एक विजेता की तरह जीवन बिता सकेगा।
रितिका खन्ना (ऐशा देओल) को उसके माता-पिता अपना फरमान सुनाते हैं कि उसकी शादी तय कर दी गई है। यह पूरी तरह भारतीय शादी थी। जिसमें लड़की को एक अंजान व्यक्ति के साथ हमेशा के लिए बाँध दिया जाता है और लड़की चुपचाप उसे स्वीकार कर लेती है।
उसके लिए सबसे बुरा होता है कि 24 घंटे पहले जिस व्यक्ति के साथ उसकी शादी हुई, उसके साथ पाँच दिनों के हनीमून के लिए ऊटी जाना पड़े। उसे बस इतना ही बताया गया है कि लड़के का नाम अभय सचदेव है और वह भी अब रितिका खन्ना नहीं रितिका सचदेव हो जाएगी। अभय को नीला रंग बहुत पसंद है। इसलिए शादी के लिए उसकी शेरवानी नीले रंग की बनवाई जाती है।
उसके माँ-बाप बहुत अच्छे हैं, लेकिन उसकी बहन थोड़ी बेवकूफ है। लेकिन क्या इतना जान लेना ही रितिका के लिए काफी है? जिसके साथ पूरी जिंदगी बितानी है उसके बारे में तो कुछ भी नहीं जानती है। उसके शौक क्या है? क्या उसे भी उसकी तरह अरेंज मैरिज पसंद नहीं है? क्या वह रात में खर्राटे लेता है?और क्या उसे पूरे पाँच दिन एक अंजान के साथ सोना भी पड़ेगा? हनीमून पर जाने से पहले एक-दूसरे के बारे में कितनी जानकारी होनी चाहिए?इन्हीं ख्यालों में रितिका खोई रहती है।
रितिका इस नए माहौल से घबराई हुई रहती है। वह खुलकर नहीं कह पाती कि वह खुश है। अपनी खुशी का इजहार करने में भी उसे झिझक महसूस होती है।
शादी प्यार का चरम है और अगर यह माँ-बाप की मर्जी से की गई हो तो वह प्यार की शुरूआत मानी जाती है।
दो अनजाने अभय और रितिका, जिन्हें परिवार द्वारा हमेशा के लिए एक पवित्र बंधन में बाँध दिया जाता है। दो अलग-अलग क्षेत्र के लोग शादी के बंधन में बँधकर हनीमून पर जाते हैं।
घर से 290 किलोमीटर दूर ऊटी में अभय और रितिका अपने जीवन का सफर पति और पत्नी के रुप में शुरू करते हैं। कुछ जोड़े ऐसे होते हैं, जिनकी अपनी मान्यताएँ होती हैं। कोई शादी जैसी संस्था पर विश्वास करता है तो कोई नहीं। अभय और रितिका ने इससे पहले न तो एक-दूसरे का हाथ थमा था, न कभी साथ-साथ बारिश में भीगे थे और न ही उन्होंने प्यार किया था। लेकिन एक ऐसे बँधन में बँधकर दोनों पाँच दिनों के लिए एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर पति-पत्नी की तरह वक्त बिताते हैं। इस स्थिति में दोनों एक-दूसरे से प्यार की उम्मीद रखते हैं।
'जस्ट मैरिड' एक ऐसी फिल्म है जो वहाँ से शुरू3 होती है, जहाँ अधिकतर फिल्में खत्म हो जाती हैं। यह पूरी तरह से भारतीय मान्यताओं पर आधारित फिल्म है जिसमें प्यार तभी होता है, जब लोग शादी के बँधन में बँध जाते हैं।
क्या अभय और रितिका एक-दूसरे को समझकर एक प्रेमी-प्रेमिका बन पाते हैं? क्या वे अपने पति-पत्नी के रिश्ते को कायम रख पाते हैं? क्या उनका हनीमून एक नई जिंदगी की शुरूआत कर पाता है?

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